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Shiv chalisa lyrics bhakti bharat Can Be Fun For Anyone

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नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। तदा एव काश्चन परीक्षाः समाप्ताः भवन्ति। दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ मैना मातु की हवे दुलारी। https://shivchalisas.com

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