हर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे। वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है, वक्त से उधार माँगी किस्तें चुका रहा हूँ, कलीम आजिज़ टैग : ज़िंदगी शेयर कीजिए तिरी ख़ुशबू मिरी चादर https://youtu.be/Lug0ffByUck